पंछी घर देर ले लौटे थे उस रोज...
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दुनियादारी और जिम्मेदारियों के बोझ से
बस झुकने को थे कांधे
कि तुम्हारे स्पर्श के फाहे
राहत बन उतर आए थे उन पर
आँखों के नीचे सदियों के रतजगे
अपनी स्था...
22 घंटे पहले